इस लड़की की वजह से बदल गई लॉरेंस बिश्नाई की पूरी जिंदगी
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। एक लड़की के साथ मुलाकात ने उसकी सोच और जीवन को पूरी तरह बदल दिया। जानिए कैसे एक मुलाकात ने उसे अपराध छोड़कर समाज सेवा की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया।
इस लड़की की वजह से बदल गई लॉरेंस बिश्नाई की पूरी जिंदगी
मुबंई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद लॉरेंस बिश्नोई इस दिनों खूब चर्चा में है। दिल्ली से लेकर कनाडा तक लॉरेंस को लेकर ही बातें हो रही है। लॉरेंस के साथ वो लडक़ी भी इन दिनों चर्चा में आ गई है, जिसे चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में लॉरेंस के विरोधी गुट ने जिंदा जला दिया गया था। वर्ष 2010 में हुई इस घटना ने लॉरेंस का जीवन बदल दिया। उसने विरोधी गुट के उस नेता को सरेआम मौत के घाट उतारकर अपनी दोस्त की मौत का बदला लिया। इसके बाद वह खुलकर अपराध के दुनिया में उतर गया। कहा जा रहा है कि यह लडक़ी कोई और नहीं, बल्कि लॉरेंस बिश्नोई की गर्लफ्रेंड थी। इस घटना के बाद लॉरेंस ने पढ़ाई से तौबा कर ली और संपत नेहरा व गोल्डी बरार के साथ मिलकर एक गैंग बना लिया। इस गैंग ने छात्र नेता की हत्या के साथ अपराध की दुनिया में कदम रखा। लॉरेंस बिश्नोई ने खुद अपने हाथों से उक्त छात्र नेता को गोली मारी।
इस घटना के बाद बदल गई जिंदगी
गौरतलब है कि लॉरेंस बिश्रोई का जन्म पंजाब के गांव फिरोजपुर में हुआ।आज हम उस लडक़ी और उसके साथ हुई घटना का जिक्र करेगें जिसने लॉरेंस की जिंदगी पूरी तरह बदलकर रख दी। एक संभ्रांत किसान परिवार में जन्मे लॉरेंस के पिता हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल थे। बाद में उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ कर खेती बाड़ी का काम शुरू कर दिया था। लॉरेंस जब महज चार या पांच साल का था, तब उसके पिता ने उसके बेहतर भविष्य के लिए उसे अबोहर के एक कांवेंट स्कूल में उसका एडमिशन कराया। यहां लॉरेंस की अपने क्लास में पढऩे वाली एक लडक़ी से दोस्ती हो गई और यह दोस्ती देखते ही देखते नजदीकी में बदल गई।
दूसरे गुट ने लडक़ी को जला डाला जिंदा
12वीं कक्षा तक साथ में पढ़ाई करने के बाद दोनों की अगली मुलाकात डीएवी स्कूल चंडीगढ़ में हुई। दोनों और करीब आ गए। यहां पढ़ाई के दौरान लॉरेंस का राजनीति का कीड़ा काट गया।वह छात्रसंघ के चुनाव में उतर गया। इस चुनाव में लॉरेंस के लिए कंवेंसिग में यह लडक़ी सबसे आगे रही। जब लॉरेंस चुनाव हार गया तो जीतने वाले उम्मीदवार के साथ उसकी तकरार हो गई। आए दिन दोनों गुटों के बीच मारपीट होने लगी। इसी बदले में दूसरे गुट ने कॉलेज परिसर में ही उस लडक़ी को जिंदा जलाकर बेरहमी से मार डाला। इस घटना ने लॉरेंस को अंदर तक हिला दिया। वह बदले की आग में जल उठा। इस बदले की आग में लॉरेंस की किताबें भी जलकर स्वाहा हो गई। उसने अब जिंदगी का मकसद बदल दिया।
छात्र नेता को सरेआम उतारा मौत के घाट
उस समय कॉलेज में दोस्त संपत नेहरा और गोल्डी बराड़ ने लॉरेंस को हौंसला दिया। इसके बाद जो हुआ, उसकी ना तो लॉरेंस के परिवार ने कल्पना की थी, ना ही कॉलेज प्रशासन ने। इन तीनों ने मिलकर सरेआम कॉलेज में खूनी खेल खेला। लडक़ी को जिंदा जलाकर मार डालने वाले छात्र नेता को लॉरेंस व उसके दोस्तों ने दौड़ा दौड़ाकर बुरी तरह से पीटा। लॉरेंस ने पहली बार हाथ में बंदूक ली और भरे कैंपस में छात्र नेता की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद तीनों ने मुडक़र पीछे नहीं देखा। पढ़ाई की दुनिया पूरी तरह छूट गई और अपराध की दुनिया ही उनकी जिंदगी बन गई।